लोगों की राय

बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2694
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए।

अथवा
राजस्थान की टाई एण्ड डाई का रंग बनाने की विधि लिखिए।

उत्तर - 

टाई एण्ड डाई की परिभाषा
(Defintion of Tie and Dye)

"कपड़े पर डिजाइन के अनुसार गाँठ लगा दी जाती है। गाँठ लगाने के बाद कपड़े को रंग देते हैं। जिन स्थानों पर गाँठ बाँध देते हैं, उन स्थानों पर रंग नहीं चढ़ता है या जिन स्थानों को सफेद रखना हो उन स्थानों को गाँठ द्वारा बाँध देते हैं। रंगाई में हमेशा हल्के से गहरे रंग का चयन करते हैं। रंगने के बाद कपड़े को सुखाकर गाँठ को खोलते हैं तो कपड़े पर विभिन्न रंगों से एक आकर्षक सुन्दर डिजाइन तैयार हो जाता है। भारत में इस प्रकार की रंगाई को बाँधेज या बंदिश कहते हैं। यह राजस्थान में बहुत प्रसिद्ध है। विदेशों में इसी रंगाई कला को टाई एण्ड डाई कहते हैं। "

टाई एण्ड डाई का महत्व
(Importance of Tie and Dye)

(1) उपर्युक्त रंगाई कला का प्रारम्भ भारत के राजस्थान व गुजरात में माना जाता है।. विदेशों में प्रमुख रूप से जापानी इस कला को शिबोरी कहते हैं। नाइजीरिया में टाई एण्ड डाई बीज की सहायता से करते हैं। भारत में इस विधि को बंदिश या लहरिया कहते हैं। बन्दिश या बंधेज कला राजस्थान और गुजरात में अधिक प्रचलन में है।

(2) इस कला में किसी विशेष प्रकार के उपकरण की आवश्यकता नहीं पड़ती है। (3) आसानी से टाई एण्ड डाई कला को सीखा जा सकता है।
(4) एक ही डिजाइन दोबारा या पुनः बनाने पर भी उसमें विभिन्नता अवश्य आ जाती
(5) कल्पना से डिजाइन के बदलने से ही नवीन डिजाइन पूर्व डिजाइन से भिन्न हो जाती है।
( 6 ) यह कला मितव्ययी है।
(7) इसमें ट्रेसिंग और ब्लाक्स की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
(8) इस कला में कपड़े को बाँध दिया जाता है अथवा गाँठ लगा दी जाती है।
(9) कम समय में आकर्षक डिजाइन तैयार कर सकते हैं।
(10) टाई एण्ड डाई एक प्राकृतिक कला है जिसमें कोई निश्चित आकृति नहीं है। (11) उपर्युक्त कला ने बेरोजगारी और निर्धनता को दूर किया है।
(12) राजस्थान में इसका व्यावसायिक महत्व है।
(13) घर में या कारखाने में कम स्थान में सफलतापूर्वक इस कला द्वारा नये डिजाइन बनाये जा सकते हैं।
(14) इस कला में कल्पना शक्ति की अधिकता पायी जाती है।
(15) आजकल कला के पारखी टाई एंड डाई को शौक के रूप में प्रशिक्षण केन्द्र में जाकर सीखते हैं।
( 16 ) इस कला द्वारा कम व्यय में अपनी वेशभूषा को अधिक सजा सकते हैं।
( 17 ) विशेष अवसरों में (विवाह या जन्मदिन के लिये तैयार वेशभूषा) पहनने के वस्त्रों को इस कला द्वारा सुन्दर व आकर्षक बना सकते हैं।
(18) रंगने के लिये अधिक महँगे कपड़ों की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
(19) टाई एण्ड डाई में आकृति और रंग ही प्रमुख आधार है।

टाई एण्ड डाई हेतु आवश्यक सामग्री-

(i) कपड़ा,
(ii) एक या दो छोटे टब,
(iii) बाल्टी,
(iv) कप या कटोरी,
(v) एक जोड़ी रबड़ के दस्ताने,
(vi) रंग बनाने के लिये पतीला,
(vii) एक स्टोव या गैस,
(viii) पुराने अखबार के पन्ने,
(ix) प्रेस बिजली,
(x) एक मेज,
(xi) दो बड़े चम्मच व छोटे चम्मच,
(xii) एक कैंची, (xiii) चाकू,
(xiv) सुईं व धागा,
(xv) रबड़ बैण्ड,
(xvi) रंग विभिन्न प्रकार के,
(xvii) कपड़े धोने वाला सोडा व साधारण नमक,
(xviii) विभिन्न प्रकार के रंग।

टाई एण्ड डाई हेतु कपड़े का चयन -

(i) सूती कपड़ा, मलमल, कैम्रिक, लिनन, सिल्क या रेशमी कपड़ा।
(ii) कपड़ा सिलवटरहित, दाब-धब्बे से रहित तथा स्टार्चरहित होना चाहिए।
(iii) हल्का कपड़ा व हल्के रंग वाला कपड़ा सबसे अच्छा माना जाता है।
(iv) रंगने से पूर्व कपड़े को पानी में भिगो लेना चाहिए ताकि रंगने पर दाग-धब्बे आदि न पड़ें।

टाई एंड डाई हेतु रंगों का चयन- कुछ रंग रासायनिक व साधारण होते हैं। रंग तीन प्रकार के होते हैं-

(i) ब्रेन्थाल रंग (Branthol Colour) — रंगाई में ब्रेन्थाल रंग का ही अधिकतर प्रयोग किया जाता है। ब्रेन्थाल रंग दो रंगों के मिलाने पर बनता है; जैसे- एक बेस रंग और दूसरा साल्ट रंग।

(ii) बेस रंग (Base Colour) - ए०टी० ए० एस० ए० एन०, एम० एन०, बी० एन०, एफ०आर०, सी०टी०, जी०आर०।

(iii) साल्ट कलर या नमक रंग (Salt Colour) - एलो जी०सी० साल्ट, आरेन्ज जी०सी० साल्ट, जी०पी० साल्ट, ब्लू बी० साल्ट, स्कारलेट आर०सी० साल्ट, ब्लैक के० साल्ट, रैड बी० साल्ट, कोर्निथ बी० साल्ट, बायलेट बी० साल्ट।

रंग बनाने की विधि - चार प्रकार से रंग तैयार किए जाते हैं, जो निम्न प्रकार से-

(i) बेस रंग - सर्वप्रथम कपड़े को बेस रंग से रंगते हैं। इसे First Dip भी कहते हैं। एक कटोरी या बाउल (Bowl) में रंग और टर्की रैड आयल डालकर अच्छी तरह से पेस्ट या घोल बना लीजिए। पेस्ट तैयार करके उसमें आधा कप गरम पानी मिला दीजिए। उसके बाद कास्टिक सोडा मिला दीजिए। अब बेस रंग तैयार हो जायेगा।

(ii) साल्ट रंग - बेस रंग में रंगने के पश्चात् कपड़ों को साल्ट रंग में रंगते हैं। इसी कारण इसे सेकेण्ड डिप (Second Dip) कहते हैं। एक कटोरी में साल्ट रंग व साधारण नमक मिला दीजिए। आधा कप ठण्डा पानी मिला दीजिए। अब साल्ट रंग तैयार हो जायेगा।

(iii) इण्डिगो रंग बनाना - साधारण नमक जैसे इण्डिगो स्काई ब्ल्यू, इण्डिगो ग्रीन आदि।

इण्डिगो रंग में साधारण नीला और हरे रंग के साथ इण्डिगो शब्द जोड़ देते हैं। उदाहरण के लिए एक मीटर कपड़े के लिये रंग की मात्रा निम्नलिखित प्रकार से होगी, जैसे-

रंग की मात्रा = 5 ग्राम, यूरिया = 15 ग्राम, सोडियम सल्फेट = 15 ग्राम गन्धक का तेजाब = 1 चम्मच या 1/2 चम्मच। दो टब या बड़े बर्तन लेकर उसमें पानी डाल दीजिए। एक टब में रंग डाल दीजिए और दूसरे टब में तेजाब डाल दीजिए। कपड़े को रंगने से पहले साधारण पानी में भिगो दीजिए। भीगे हुये कपड़े को पहले रंग वाले टब में डाल दीजिए। उसके बाद उसी कपड़े को तेजाब वाले टब में डाल दीजिए।

(iv) साधारण रंग बनाना - साधारण रंग बाजार में मिलते हैं। एक मीटर कपड़े के लिये 15 या 20 ग्राम रंग और उसी मात्रा में नमक तथा सोडा (कपड़े धोने का) लेते हैं। रंग तैयार कर लीजिए।

टाई एण्ड डाई विधि द्वारा रंगने की कला - उपर्युक्त कला में निम्नलिखित विधि प्रमुख है-

(i) गाँठ द्वारा रंगना तथा डिजाइन बनाना - कपड़े पर केवल हाथ द्वारा गाँठ लगाकार रंगने से अनेक प्रकार के आकर्षक डिजाइन बनाने में सहायता प्राप्त होती है। सर्वप्रथम पेन्सिल से कपड़े पर निशान लगायें उसके बाद निशान वाले स्थान पर गाँठ लगायें। यदि कपड़े को तीन रंगों से रंगना हो तो पहले बीच में गाँठ लगाकर कपड़े को रखना चाहिए। दूसरे रंग से रंगने के लिये कपड़े के चारों कोनों पर गाँठ लगायें। तीसरे रंग में रंगने के लिये कोने व बीच के भाग में गाँठ लगाकर कपड़े को रंगें।

(ii) धागे से बाँधकर डिजाइन बनाना - इस प्रकार के डिजाइन के लिये कपड़े को बीच में से पकड़कर उसे छतरी की तरह से पकड़ते हैं। कपड़े को ऊपर से नीचे की ओर धागे से बाँधते हैं। सम्पूर्ण रंगने की क्रिया पूरा होने पर जहाँ पर धागा बँधा होगा उसी स्थान पर सफेद रहेगा।

कपड़े को रंगते समय ध्यान देने योग्य सुझाव -

(i) मेज पर पुराना अखबार रख लीजिए।
(ii) सूखे चम्मच का प्रयोग कीजिए।
(iii) अलग-अलग रंग के लिये अलग-अलग चम्मच रखें।
(iv) रंग को खुला न रखें।
(v) अलग-अलग रंगों को प्रयोग करते समय टब भी अलग-अलग होना चाहिए।
(vi) दस्तानों के प्रयोग से रंग से हाथ साफ रखें।
(vii) रंगने पर कपड़ा सुखाकर दूसरे रंग में रंगें। (viii) हल्के से गहरे रंग में कपड़े को रंगें।
(ix) रंगने से पूर्व कपड़े को भिगो लीजिए।
(x) प्रत्येक रंग के बाद कपड़े को सादे व स्वच्छ पानी में निकाल लें।
(xi) धागे खोलने से पूर्व कपड़े के पानी को अच्छी तरह से सुखा लीजिए।
(xii) धागे कैंची से काटकर अलग कीजिए।
(xiii) ब्लेड आदि का प्रयोग न करें।
(xiv) कपड़े पर धागे निकल जाने पर कपड़े को पुनः पानी में धोकर सुखा लीजिए।
(xv) कपड़े को सुखाने के बाद प्रेस कीजिए।
(xvi) रंग को बनाने से पहले पेस्ट बना लीजिए।
(xvii) रंग बनाने से पूर्व टब को अच्छी तरह से धो लीजिए।
(xviii) एल्युमीनियम के टब का प्रयोग कीजिए।

फैब्रिक कला और रंग - फैब्रिक कला में कपड़े पर प्रयोग किया जाने वाला रंग ही फैब्रिक रंग है। फैब्रिक कला में प्रयुक्त रंगों के प्रकार तो अनेक हैं परन्तु उसमें दो रंग प्रमुख है।

(i) फैब्रो
(ii) कैमेल 

(i) फैबो रंग (Fabro Colour) — फैब्रो रंग द्रव रूप में प्राप्त हैं। इस रंग में मीडियम मिलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। रंग के गाढ़ेपन को दूर करने के लिये पानी की कुछ बूँदें डालकर द्रव रंग को हल्का गाढ़ा कर सकते हैं। यह रंग आसानी से बाजार में उपलब्ध है। फैब्रो रंग में लगभग बारह शेड होते हैं।

(ii) कैमेल रंग (Camel Colour) – कैमेल रंग में मीडियम मिलाने की आवश्यकता पड़ती है। यह रंग गाढ़ा होता है। सूती कपड़े इस रंग के लिये
सर्वाधिक उपयुक्त हैं।

फैब्रो रंग पर ध्यान देने योग्य बातें-

(1) फैब्रिक कलामें रंग का प्रयोग टाई एण्ड डाई या बाटिक कला जैसा नहीं है। डिजाइन बनाना व फ्रेम पर डिजाइन कसना कुछ-कुछ एक जैसा ही है। उपरोक्त कला में ब्रश की सहायता से फैब्रो कलर या कैमेल कलर से कपड़े पर रंग लगाकर रंगना पड़ता है। इस कला में बेस रंग, साल्ट, तेजाब आदि की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
(2) इसमें दो, चार और एक नम्बर का ब्रुश का अधिक प्रयोग किया जाता है।
(3) ब्रुश नया व साफ होना चाहिए। ब्रुश फैब्रिक कला से पहले किसी अन्य कला जैसे बाटिक कला में प्रयुक्त नहीं होना चाहिए। बाटिक कला में प्रयुक्त ब्रुश में मोम लगा होता है।
(4) इस कला में शरीर का स्किन कलर नहीं होता है। स्किन कलर बनाने के लिये दो रंगों का प्रयोग करते हैं। जैसे सफेद और थोड़ा सा लाल रंग और थोड़ा सा पीला रंग मिलाकर रंग तैयार करते हैं। नवीन रंग ही स्किन कलर है।
(5) एक बार रंगने के बाद डिजाइन या दृश्य को सूखने देना चाहिए। दो बार सूखने पर ही कपड़े पर उन्हीं स्थानों को रंगों से रंगना चाहिए।
(6) इस कला में सूती और रेशमी कपड़े पर ही सबसे अच्छा रंग चढ़ता है। फैब्रिक कला कपड़े पर की जाती है परन्तु जार्जेट पर नहीं।
(7) फैब्रो रंग से रंगे कपड़े को लगभग दो सप्ताह के बाद धोना चाहिए।
(8) फैब्रो रंग वाले स्थान को अधिक नहीं मलना चाहिये।
(9) फैब्रो रंग वाले कपड़े धूप में न सुखायें।
(10) धोते समय ठण्डे पानी का ही प्रयोग करना चाहिए।
(11) कपड़े को हल्के गरम प्रेस से प्रेस करना चाहिए ताकि रंग न फैले।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- डिजाइन के तत्वों से आप क्या समझते हैं? ड्रेस डिजाइनिंग में इसका महत्व बताएँ।
  2. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्तों से क्या तात्पर्य है? गारमेण्ट निर्माण में ये कैसे सहायक हैं? चित्रों सहित समझाइए।
  3. प्रश्न- परिधान को डिजाइन करते समय डिजाइन के सिद्धान्तों को किस प्रकार प्रयोग में लाना चाहिए? उदाहरण देकर समझाइए।
  4. प्रश्न- "वस्त्र तथा वस्त्र-विज्ञान के अध्ययन का दैनिक जीवन में महत्व" इस विषय पर एक लघु निबन्ध लिखिए।
  5. प्रश्न- वस्त्रों का मानव जीवन में क्या महत्व है? इसके सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- गृहोपयोगी वस्त्र कौन-कौन से हैं? सभी का विवरण दीजिए।
  7. प्रश्न- अच्छे डिजायन की विशेषताएँ क्या हैं ?
  8. प्रश्न- डिजाइन का अर्थ बताते हुए संरचनात्मक, सजावटी और सार डिजाइन का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- डिजाइन के तत्व बताइए।
  10. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्त बताइए।
  11. प्रश्न- अनुपात से आप क्या समझते हैं?
  12. प्रश्न- आकर्षण का केन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- अनुरूपता से आप क्या समझते हैं?
  14. प्रश्न- परिधान कला में संतुलन क्या हैं?
  15. प्रश्न- संरचनात्मक और सजावटी डिजाइन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- फैशन क्या है? इसकी प्रकृति या विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- फैशन के प्रेरक एवं बाधक तत्वों पर प्रकाश डालिये।
  18. प्रश्न- फैशन चक्र से आप क्या समझते हैं? फैशन के सिद्धान्त समझाइये।
  19. प्रश्न- परिधान सम्बन्धी निर्णयों को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
  20. प्रश्न- फैशन के परिप्रेक्ष्य में कला के सिद्धान्तों की चर्चा कीजिए।
  21. प्रश्न- ट्रेंड और स्टाइल को परिभाषित कीजिए।
  22. प्रश्न- फैशन शब्दावली को विस्तृत रूप में वर्णित कीजिए।
  23. प्रश्न- फैशन का अर्थ, विशेषताएँ तथा रीति-रिवाजों के विपरीत आधुनिक समाज में भूमिका बताइए।
  24. प्रश्न- फैशन अपनाने के सिद्धान्त बताइए।
  25. प्रश्न- फैशन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?
  26. प्रश्न- वस्त्रों के चयन को प्रभावित करने वाला कारक फैशन भी है। स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- प्रोत / सतही प्रभाव का फैशन डिजाइनिंग में क्या महत्व है ?
  28. प्रश्न- फैशन साइकिल क्या है ?
  29. प्रश्न- फैड और क्लासिक को परिभाषित कीजिए।
  30. प्रश्न- "भारत में सुन्दर वस्त्रों का निर्माण प्राचीनकाल से होता रहा है। " विवेचना कीजिए।
  31. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- मलमल किस प्रकार का वस्त्र है? इसके इतिहास तथा बुनाई प्रक्रिया को समझाइए।
  33. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  34. प्रश्न- कश्मीरी शॉल की क्या विशेषताएँ हैं? इसको बनाने की तकनीक का वर्णन कीजिए।.
  35. प्रश्न- कश्मीरी शॉल के विभिन्न प्रकार बताइए। इनका क्या उपयोग है?
  36. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- ब्रोकेड के अन्तर्गत 'बनारसी साड़ी' पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- बाँधनी के प्रमुख प्रकारों को बताइए।
  40. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए।
  41. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- राजस्थान के परम्परागत वस्त्रों और कढ़ाइयों को विस्तार से समझाइये।
  43. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- पटोला वस्त्र से आप क्या समझते हैं ?
  45. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- बांधनी से आप क्या समझते हैं ?
  47. प्रश्न- ढाका की साड़ियों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  48. प्रश्न- चंदेरी की साड़ियाँ क्यों प्रसिद्ध हैं?
  49. प्रश्न- उड़ीसा के बंधास वस्त्र के बारे में लिखिए।
  50. प्रश्न- ढाका की मलमल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  51. प्रश्न- उड़ीसा के इकत वस्त्र पर टिप्पणी लिखें।
  52. प्रश्न- भारत में वस्त्रों की भारतीय पारंपरिक या मुद्रित वस्त्र छपाई का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत के पारम्परिक चित्रित वस्त्रों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- गर्म एवं ठण्डे रंग समझाइए।
  55. प्रश्न- प्रांग रंग चक्र को समझाइए।
  56. प्रश्न- परिधानों में बल उत्पन्न करने की विधियाँ लिखिए।
  57. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  62. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए: (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  63. प्रश्न- कश्मीर की कशीदाकारी के अन्तर्गत शॉल, ढाका की मलमल व साड़ी और चंदेरी की साड़ी पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  65. प्रश्न- "मणिपुर का कशीदा" पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  66. प्रश्न- हिमाचल प्रदेश की चम्बा कढ़ाई का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- भारतवर्ष की प्रसिद्ध परम्परागत कढ़ाइयाँ कौन-सी हैं?
  68. प्रश्न- सुजानी कढ़ाई के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  69. प्रश्न- बिहार की खटवा कढ़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- फुलकारी किसे कहते हैं?
  71. प्रश्न- शीशेदार फुलकारी क्या हैं?
  72. प्रश्न- कांथा कढ़ाई के विषय में आप क्या जानते हैं?
  73. प्रश्न- कढ़ाई में प्रयुक्त होने वाले टाँकों का महत्व लिखिए।
  74. प्रश्न- कढ़ाई हेतु ध्यान रखने योग्य पाँच तथ्य लिखिए।
  75. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- जरदोजी पर टिप्पणी लिखिये।
  77. प्रश्न- बिहार की सुजानी कढ़ाई पर प्रकाश डालिये।
  78. प्रश्न- सुजानी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  79. प्रश्न- खटवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book